एक भारतिय नोजवान होने के नाते मैंने कई बार सोचा कयों न नोजवान के भारतीय अरथ विवसथा में योगदान को लिखा जाए ।
भारत की अरथ विवसथा एक मिशरित अरथ विवसथा है । जिस में सरकारी तथा गैर सरकारी ततव इस में अपना योग दान देते है । पर फिर भी यदि धयान से सोचा जाए कि आखर यह भी तो नोजवान ही है कयोंकि 60 वरष में तो सभी रिटायर हो जाते है इस का अरथ यह हुआ कि नोजबान ही देश के आरथीक विकास का डांचा तैयार करता है ।
आरथिक विकास की पहली शरत ही यह कि इस में गतिशिलता होनी चाहिए ।
अरथात जैसे बाजार में बीकरी तथा खरीद होती है वैसे ही अरथ विवसथा में मोदरिक तथा पुजीगत लेन देन होने जरुरी है ।
और सिरफ नोजवान ही नए वयवसायों को शुरु करने का साहस कर सकता है इस प्रकार अरथविवसथा की सब से बडी मुशकल बेरोजगारी तथा गरीबी को हल कर सकता है कयोंकि हर एक नयां वयापार कम से कम 10 लोंगो को रोजगार देता है ।
पर यदि नोजवान अज्ञान के चक्र में ही फसा रहा तो वह न सिरफ अपनी दुरगति करे गा बलकि भारत की अरथ विवसथा को भी खतरे में डाल सकता है इस लिए यह अति आबशक है कि उसे भारत के अरथ शासतर को समझना चाहिए तथा कम से कम धन से भारत कि सभी अवशकताओ को पुरा करना चाहिए ।
COMMENTS