वैल्यू ऐडेड टैक्स या वैट को लेकर भारत में विरोध प्रदर्शन ज़ोरों पर है और राज्य सरकारें इसे लागू करने से कतरा रही हैं.पर आख़िर वैट है क्या-वैट एक क़िस्म का बिक्री कर है जिसे उपभोक्ता व्यय पर उस राज्य की सरकार लेती हैं जहाँ अंतिम उपभोक्ता रहता है | वैट और बिक्री कर में अंतर सिर्फ़ ये है कि ये पहली या आख़िरी जगह पर ही नहीं लिया जाता यानि कि ये सिर्फ़ एक ही जगह वसूल नहीं होता बल्कि इसकी वसूली कई चरणों में और किश्तों में होती है |
वैट की प्रणाली कुछ ऐसी है कि जो उत्पाद किसी राज्य में आयात या उपयोग किए जाते हैं वहाँ का पहला विक्रेता सबसे पहले कर देता है और उसके बाद के विक्रेता उसमें जुड़ने वाली क़ीमत पर ही कर देते हैं.इस तरह कुल मिलाकर कर का भार वही हो जाता है जो पहले या अंतिम रूप से लिया जाता था |
अंतर-राज्यीय मामलों में किसी ख़रीद पर पहले ही लगाया गया टैक्स या तो लौटा दिया जाता है या फिर दूसरे मामलों में उसे समायोजित कर दिया जाता है.तकनीकी रूप से इसे 'सेट ऑफ' कहा जाता है.इसके अलावा उत्पादक ख़रीद पर लगने वाले स्थानीय कर के बराबर ही अपने बिक्री कर में 'सेट ऑफ' पा सकते हैं |
समानता वैट में मौजूदा प्रणाली से कुछ समानताएं भी हैं.मौजूदा प्रणाली में एक अंतर राज्यीय विक्रेता को कर की अदायगी के बिना ही ख़रीद की इजाज़त है.वहीं वैट के तहत उसे स्थानीय कर देने के बाद ही ख़रीद का अधिकार होगा |
मगर ख़रीद पर दिया जाने वाला ये कर उसके देय केन्द्रीय बिक्री कर में ही पूरी तरह 'सेट ऑफ' हो जाता है.अगर देय केन्द्रीय बिक्री कर पहले ही अदा किए जा चुके स्थानीय कर से ज़्यादा है तो वह या तो अन्य देय वैट में उसे समायोजित कर दिया जाता है या फिर वह वापस भी मिल सकेगा.
उत्पादकों का मामला भी कुछ इसी तरह का है.कर अदायगी के बिना ही ख़रीदने के बजाय इन ख़रीदों पर स्थानीय कर लगाए जाएंगे और अंतिम उत्पादों पर लगने वाले बिक्री कर में इसे समायोजित कर दिया जाएगा.यानि कुल मिलाकर कहा जाए तो वैट में बदलने का मतलब है स्थानीय बिक्री कर के संग्रह के तरीके में बदलाव.वर्तमान प्रणाली के तहत कई व्यापारियों को ये समस्या आ रही थी कि उन्हें दोहरे कर की समस्या का सामना करना पड़ रहा था लेकिन वैट उनकी समस्या हल कर देगा.अंतर राज्यीय ख़रीदारी में लगने वाला समूचा स्थानीय बिक्री कर केन्द्रीय कर में समायोजित हो जाएगा.यानि कोई दोहरा कर नहीं.
अंतरवैट के तहत सभी स्थानीय बिक्रियों में वैट देय होगा.यानि इस बात में कोई अंतर नहीं रखा गया है कि बिक्री किसी दूसरे डीलर को की गई है या फिर उपभोक्ता को.बिक्री मूल्य पर लागू कर की दर के बराबर ही वह कर लिया जाएगा.वर्तमान प्रणाली के तहत जो भी कर वसूला जाएगा वो सीधे विभाग को ही दिया जाएगा लेकिन वैट के तहत वह उपभोक्ता से जो भी कर वसूलेगा वह ख़रीद पर पहले ही दे चुके कर को उसमें से वापस ले लेगा और बाक़ी कर विभाग में जमा कर दिया जाएगा |
वैट की प्रणाली कुछ ऐसी है कि जो उत्पाद किसी राज्य में आयात या उपयोग किए जाते हैं वहाँ का पहला विक्रेता सबसे पहले कर देता है और उसके बाद के विक्रेता उसमें जुड़ने वाली क़ीमत पर ही कर देते हैं.इस तरह कुल मिलाकर कर का भार वही हो जाता है जो पहले या अंतिम रूप से लिया जाता था |
अंतर-राज्यीय मामलों में किसी ख़रीद पर पहले ही लगाया गया टैक्स या तो लौटा दिया जाता है या फिर दूसरे मामलों में उसे समायोजित कर दिया जाता है.तकनीकी रूप से इसे 'सेट ऑफ' कहा जाता है.इसके अलावा उत्पादक ख़रीद पर लगने वाले स्थानीय कर के बराबर ही अपने बिक्री कर में 'सेट ऑफ' पा सकते हैं |
समानता वैट में मौजूदा प्रणाली से कुछ समानताएं भी हैं.मौजूदा प्रणाली में एक अंतर राज्यीय विक्रेता को कर की अदायगी के बिना ही ख़रीद की इजाज़त है.वहीं वैट के तहत उसे स्थानीय कर देने के बाद ही ख़रीद का अधिकार होगा |
मगर ख़रीद पर दिया जाने वाला ये कर उसके देय केन्द्रीय बिक्री कर में ही पूरी तरह 'सेट ऑफ' हो जाता है.अगर देय केन्द्रीय बिक्री कर पहले ही अदा किए जा चुके स्थानीय कर से ज़्यादा है तो वह या तो अन्य देय वैट में उसे समायोजित कर दिया जाता है या फिर वह वापस भी मिल सकेगा.
उत्पादकों का मामला भी कुछ इसी तरह का है.कर अदायगी के बिना ही ख़रीदने के बजाय इन ख़रीदों पर स्थानीय कर लगाए जाएंगे और अंतिम उत्पादों पर लगने वाले बिक्री कर में इसे समायोजित कर दिया जाएगा.यानि कुल मिलाकर कहा जाए तो वैट में बदलने का मतलब है स्थानीय बिक्री कर के संग्रह के तरीके में बदलाव.वर्तमान प्रणाली के तहत कई व्यापारियों को ये समस्या आ रही थी कि उन्हें दोहरे कर की समस्या का सामना करना पड़ रहा था लेकिन वैट उनकी समस्या हल कर देगा.अंतर राज्यीय ख़रीदारी में लगने वाला समूचा स्थानीय बिक्री कर केन्द्रीय कर में समायोजित हो जाएगा.यानि कोई दोहरा कर नहीं.
अंतरवैट के तहत सभी स्थानीय बिक्रियों में वैट देय होगा.यानि इस बात में कोई अंतर नहीं रखा गया है कि बिक्री किसी दूसरे डीलर को की गई है या फिर उपभोक्ता को.बिक्री मूल्य पर लागू कर की दर के बराबर ही वह कर लिया जाएगा.वर्तमान प्रणाली के तहत जो भी कर वसूला जाएगा वो सीधे विभाग को ही दिया जाएगा लेकिन वैट के तहत वह उपभोक्ता से जो भी कर वसूलेगा वह ख़रीद पर पहले ही दे चुके कर को उसमें से वापस ले लेगा और बाक़ी कर विभाग में जमा कर दिया जाएगा |
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