लेखांकन के नजरिये से कम्पनियां बहुत महत्व पूर्ण है क्योकि कारपोरेट लेखांकन पूरी तेरा से कपनियो के खाते बनाना सिखाता है यदि कपनी ही नहीं तो कारपोरेट लेखांकन किसी कम का नहीं है कारपोरेट लेखाकार को हर कपनी की बदलती हालतो पर नजर रखनी पड़ती है कपनी ने ही लेखाकंन के क्षेत्र को बहुत जियादा विशाल किया है
यदि हम कंपनियों के वितिये सथितियो पर नजर डाले तो हमें यह मालूम पड़ता है कि हर कम्पनी की वित्ये स्थिति को बहुत सरे तत्वों से पर्बवित होने पड़ता है जेसे शरेहोल्डर को देये जाने वाला हिसा , कपनियो के स्पेशल रेसेर्वेस , कपनी की फक्टितुस एसेट तथा कपनियो का ऑडिट कराना आदि सभी बिंदु लेखाकार को कपनी तथा इसे सबंधित कानून को जानने के लिया प्रोसाहित करते है यदि आज के लेखाकार ने विश्व सतर पर लेखाकंन के क्षेत्र में बजी मारनी है तो कंपनियों का गहरी से अद्यानन करना ही होगा
एक ओर भी कारण है जिस से हम कपनियो के महत्व को समज सकते है वह है वे तत्त्व जिन को कपनी पर्बवित करती है स्माल सकल बुसिनेस्स या फर्म के वापर का दायर बहुत ही छोटा होता है जेसे मेरा अकाउंटिंग एजुकेशन ब्लोग सिर्फ अकाउंटिंग से सबंधित लोगो को परभावित कर सकता है पर एक कपनी से लाखो लोग जुड़े हो ते है एस लिया लेखकन की छोटी सी मिस्टेक सरकार , निवेशकों की सोच तथा उनके फैसलों को परभावित कर सकता है इस लिए लिखाकर को कंपनियों के खातों को बनाने से पहले कपनियो की पुरज की पूरी जानकारी लेना अनिवार्य है तथा उने कपनियो के इतिहास को पड़ना भी जरुरी है
यदि हम कंपनियों के वितिये सथितियो पर नजर डाले तो हमें यह मालूम पड़ता है कि हर कम्पनी की वित्ये स्थिति को बहुत सरे तत्वों से पर्बवित होने पड़ता है जेसे शरेहोल्डर को देये जाने वाला हिसा , कपनियो के स्पेशल रेसेर्वेस , कपनी की फक्टितुस एसेट तथा कपनियो का ऑडिट कराना आदि सभी बिंदु लेखाकार को कपनी तथा इसे सबंधित कानून को जानने के लिया प्रोसाहित करते है यदि आज के लेखाकार ने विश्व सतर पर लेखाकंन के क्षेत्र में बजी मारनी है तो कंपनियों का गहरी से अद्यानन करना ही होगा
एक ओर भी कारण है जिस से हम कपनियो के महत्व को समज सकते है वह है वे तत्त्व जिन को कपनी पर्बवित करती है स्माल सकल बुसिनेस्स या फर्म के वापर का दायर बहुत ही छोटा होता है जेसे मेरा अकाउंटिंग एजुकेशन ब्लोग सिर्फ अकाउंटिंग से सबंधित लोगो को परभावित कर सकता है पर एक कपनी से लाखो लोग जुड़े हो ते है एस लिया लेखकन की छोटी सी मिस्टेक सरकार , निवेशकों की सोच तथा उनके फैसलों को परभावित कर सकता है इस लिए लिखाकर को कंपनियों के खातों को बनाने से पहले कपनियो की पुरज की पूरी जानकारी लेना अनिवार्य है तथा उने कपनियो के इतिहास को पड़ना भी जरुरी है