प्यारे दोस्तों ! इस दुनियां में हर मनुष्य अपने साथ एक मन को ले के आता है । उसमे दो तरह के विचार हमेशां ही चलते रहते हैं । एक हैं सकारात्मक विचार-दूसरे हैं नकारात्मक विचार । जो सकारात्मक विचार हैं वह आपके सबसे बड़े दोस्त हैं,क्योंकि जब-जब आप में सकारात्मक विचार आएंगे, उस समय आपका आत्मविश्वाश बढ़ता जाएगा तथा जिस समय आपमें नकारात्मक विचार आएंगे, उस समय आप का आत्म -विश्वाश कम होता जाएगा ।
तो जो बाहरी दुश्मन है -हमपे हमला करता है तो हमें पता लगता है कि उसने हमारे ऊपर हमला किया । पर जो यह विचार है न ; कब नकारात्मक हो जायँ इसका पता ही नहीं लगता । इस लिए अगर आपने अपनी जिंदगी में खुशहाली को लाना है , अगर आपने अपनी जिंदगी में आत्म विश्वाश को लाना है तो हमें अपने विचारों को सकारात्मक रखने के लिए अभ्यास करना पड़ेगा ।
एक बार हम को अपने विचारों में यह बात लेके आनी पड़ेगी कि हमको सकारात्मक दृष्टि से सोचना है हमने अपने विचारों को अच्छे रास्ते में लेके जाना है । चलो मैने आपकी बात मान ली कि मन को एक बार कह दिया कि भईया:----------।
आपने सकारात्मक होना है -आपने सकारात्मक होना है । आपने सोचने का नजरिया सकारात्मक रखना है,तो क्या यह सम्भव है कि नकारात्मक विचार नहीं आएंगे, ऐसा नहीं हो सकता । क्योंकि जिस माहौल में रहते हैं ;नकारात्मक विचार भी आएंगे । कभी-कभी आपका मन उन विचारों के बीच में चला जायेगा । पर एक इंसान में जो-जो गुण होते हैं, जब वह किसी चीज का अभ्यास लगातार -२ करता है ,तो वह उस का आदी हो जाता है । ऐसे ही आप के विचारों में जब-जब उस को आप कहेंगे कि मेरे विचार सकारात्मक होने चाहियें ।
अगर में किसी के बारे में सोचूं तो सकारात्मक सोचूं -अगर में किसी के बारे में सोचूं तो सकारात्मक ही सोचूं । यदि मैं अपने परिवार के बारे में सोचूं तो सकारात्मक ही सोचूं,यदि में अपने बच्चों के बारे में सोचूं तो अच्छा ही सोचूं,यदि में अपने रिश्तेदारों के बारे में सोचूं तो अच्छा ही सोचूं । यदि में अपने किसी के बारे में सोचूं तो अच्छा ही सोचूं ;तो जब-जब आप अपने विचारों को अच्छा करने का अभ्यास करेंगे तो आप का जो मन है वह घटिया विचारों में नहीं जायेगा । अभ्यास के लिए मैं आप को एक आसान सा तरीका बताता हूँ :- दिन की शुरुयात् होती है सुबह चार बजे से,रात होती है दस बजे तक । इन बारह घंटे से सोलह घंटो का जो समय है;आपके मन में विभिन्न प्रकार के विचार आते हैं । आप कुछ करना चाहते हैं,पर जो बाहर का माहौल है वो आपको करने नहीं देता ।
आप कुछ बनना चाहते हो पर बाहरी माहौल आपको कुछ बनने नहीं देता तो उस समय आपमें कुछ भावनाएं आ जाती हैं । आप गहरी चिंता से घिर जाते हो । उस समय आपके जो विचार हैं; वो नकारात्मक हो जाते हैं,तो जब आपने सुबह चार बजे उठना हो और रात के दस बजे सोना हो तो यह दो समय अपने मन में इस बात को बार-२ दुहराते जाओ - दुहराते जाओ कि जो अगला दिन है वह दिन इस जोश के साथ शुरू करेंगे की हर विचार में सकारात्मक शक्ति आती रहे। बुरे विचार न आएँ उस के लिये आपने अपने मन की एक-एक तरंग के उपर नजर रखनी है क्योंकि जो मन की तरंगों के ऊपर आप नजर रखोगे तो मन की कोई भी तरंग नकारात्मक सोच की तरफ नहीं जाएगी ।तो आप जीवन इतना खुशहाल हो जाएगा-इतना आनंदित हो जाएगा कि आप उसको महसूस कर सकोगे ।
तो जो बाहरी दुश्मन है -हमपे हमला करता है तो हमें पता लगता है कि उसने हमारे ऊपर हमला किया । पर जो यह विचार है न ; कब नकारात्मक हो जायँ इसका पता ही नहीं लगता । इस लिए अगर आपने अपनी जिंदगी में खुशहाली को लाना है , अगर आपने अपनी जिंदगी में आत्म विश्वाश को लाना है तो हमें अपने विचारों को सकारात्मक रखने के लिए अभ्यास करना पड़ेगा ।
एक बार हम को अपने विचारों में यह बात लेके आनी पड़ेगी कि हमको सकारात्मक दृष्टि से सोचना है हमने अपने विचारों को अच्छे रास्ते में लेके जाना है । चलो मैने आपकी बात मान ली कि मन को एक बार कह दिया कि भईया:----------।
आपने सकारात्मक होना है -आपने सकारात्मक होना है । आपने सोचने का नजरिया सकारात्मक रखना है,तो क्या यह सम्भव है कि नकारात्मक विचार नहीं आएंगे, ऐसा नहीं हो सकता । क्योंकि जिस माहौल में रहते हैं ;नकारात्मक विचार भी आएंगे । कभी-कभी आपका मन उन विचारों के बीच में चला जायेगा । पर एक इंसान में जो-जो गुण होते हैं, जब वह किसी चीज का अभ्यास लगातार -२ करता है ,तो वह उस का आदी हो जाता है । ऐसे ही आप के विचारों में जब-जब उस को आप कहेंगे कि मेरे विचार सकारात्मक होने चाहियें ।
अगर में किसी के बारे में सोचूं तो सकारात्मक सोचूं -अगर में किसी के बारे में सोचूं तो सकारात्मक ही सोचूं । यदि मैं अपने परिवार के बारे में सोचूं तो सकारात्मक ही सोचूं,यदि में अपने बच्चों के बारे में सोचूं तो अच्छा ही सोचूं,यदि में अपने रिश्तेदारों के बारे में सोचूं तो अच्छा ही सोचूं । यदि में अपने किसी के बारे में सोचूं तो अच्छा ही सोचूं ;तो जब-जब आप अपने विचारों को अच्छा करने का अभ्यास करेंगे तो आप का जो मन है वह घटिया विचारों में नहीं जायेगा । अभ्यास के लिए मैं आप को एक आसान सा तरीका बताता हूँ :- दिन की शुरुयात् होती है सुबह चार बजे से,रात होती है दस बजे तक । इन बारह घंटे से सोलह घंटो का जो समय है;आपके मन में विभिन्न प्रकार के विचार आते हैं । आप कुछ करना चाहते हैं,पर जो बाहर का माहौल है वो आपको करने नहीं देता ।
आप कुछ बनना चाहते हो पर बाहरी माहौल आपको कुछ बनने नहीं देता तो उस समय आपमें कुछ भावनाएं आ जाती हैं । आप गहरी चिंता से घिर जाते हो । उस समय आपके जो विचार हैं; वो नकारात्मक हो जाते हैं,तो जब आपने सुबह चार बजे उठना हो और रात के दस बजे सोना हो तो यह दो समय अपने मन में इस बात को बार-२ दुहराते जाओ - दुहराते जाओ कि जो अगला दिन है वह दिन इस जोश के साथ शुरू करेंगे की हर विचार में सकारात्मक शक्ति आती रहे। बुरे विचार न आएँ उस के लिये आपने अपने मन की एक-एक तरंग के उपर नजर रखनी है क्योंकि जो मन की तरंगों के ऊपर आप नजर रखोगे तो मन की कोई भी तरंग नकारात्मक सोच की तरफ नहीं जाएगी ।तो आप जीवन इतना खुशहाल हो जाएगा-इतना आनंदित हो जाएगा कि आप उसको महसूस कर सकोगे ।